प्रस्ताव लेखन
हम सभी छोटी कक्षाओं से ही अनुच्छेद लेखन और निबंध लेखन से परिचित हैं। कक्षा आठवीं, नौवीं तथा दसवीं में विद्यार्थी प्रस्ताव लेखन से परिचित होते हैं, जो क्रमशः ग्यारवीं और बारहवीं तक खींच जाता है। अलबत्ता कह सकते हैं कि ग्यारवीं और बारहवीं के प्रस्ताव निबंध शैली की मांग करते हैं, लेकिन उसका आधार नौवीं तथा दसवीं के प्रस्ताव लेखन ही होता है।
जब विद्यार्थी छोटी कक्षाओं से अनुच्छेद लेखन और निबंध लेखन सीखकर तथा उनका अभ्यास कर आते हैं, तो आठवीं, नौवीं तथा दसवीं तक वे अनुच्छेद लेखन और निबंध लेखन की शैली से बाहर नहीं निकल पाते और अंत तक इस लेखन प्रक्रिया को जटिल बनाए रखते हैं।
आइए संक्षिप्त में जान लें कि निबंध लेखन क्या है? फिर हम प्रस्ताव लेखन पर चर्चा कर जानेंगे कि वह निबंध लेखन से कैसे भिन्न है।
हिन्दी शब्दकोश में निबंध शब्द के कई अर्थ दिए गए हैं- रचना, लिखना, जोड़ना, बाँधना, संग्रह, नींव, उत्पत्ति, कारण आदि।
अंग्रेजी में निबंध को “एसे” (Essay) कहते हैं, जो फ्रांसीसी शब्द “एसाई” से उत्पन्न है। इसका अर्थ है – प्रयत्न या किसी विषय पर गद्य में लिखी गई छोटी साहित्यिक रचना।
निबंध की सीमा निर्धारित करने में विद्वानों में मतैक्य (एकमत) नहीं है। प्रसिद्ध निबंधकार डॉ० जॉनसन के अनुसार – “निबंध मानसिक विश्व का वह बुद्धि-विलास है, जिसमें क्रम और नियम का अभाव है। इसे विचारों की अधूरी और अव्यवस्थित रचना मात्र माना जा सकता है।”
प्रमुख निबंधकार लिंड का कथन है – “निबंध की विषय-वस्तु असीम है। एक महान विजेता या नेता की मृत्यु से लेकर दीवार पर बना चिह्न तक निबंध का विषय-वस्तु बन सकता है।”
ऑक्सफोर्ड कंसाइज डिक्शनरी में निबंध की व्याख्या इस शब्दों में है – “निबंध एक साहित्यिक रचना है, जो किसी भी विषय पर हो सकती है और जो साधारणतया लघु गद्य में होती है।”
इसके विपरीत, हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक श्यामसुंदर दास का मत है – “निबंध वह लेख है, जिसमें किसी गहन विषय पर विस्तृत और पांडित्यपूर्ण विचार किया जाता है।”
इस तरह हम कह सकते हैं कि
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निबंध की विषय-वस्तु असीम है।
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निबंध एक साहित्यिक रचना है, जो किसी भी विषय पर हो सकती है ,
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इसमें किसी गहन विषय पर विस्तृत और पांडित्यपूर्ण विचार किया जाता है।
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इसमें क्रम और नियम का अभाव है। इसे विचारों की अधूरी और अव्यवस्थित रचना मात्र माना जा सकता है।
निबंध लेखन के विपरीत प्रस्ताव लेखन में एक क्रमबद्धता होती है, जो लिखित रुप में स्वयं प्रस्ताव के प्रश्न में ही समाहित होता है। अतः यह कह सकते हैं कि प्रस्ताव एक सुनियोजित क्रमबद्ध रचना होती है, जबकि निबंध एक स्वच्छंद लेख।
उपरोक्त परिभाषाओं और उदाहरणों के आधार पर कहा सकते हैं --
किसी भी विषय को क्रमबद्ध रूप से लिखना “प्रस्ताव-लेखन” कहलाता है।
अब प्रश्न उठता है कि प्रस्ताव लेखन किस प्रकार से किया जाए और प्रस्ताव लेखन में किन बिंदुओं का समावेश होना चाहिए। चलिए उन बिंदुओं की चर्चा एक उदाहरण के साथ करते हैं -
प्रस्ताव लेखन में पूरी तरह से निर्देश दिया होता है कि आप किस प्रकार से प्रस्ताव लेखन करें। इसलिए प्रस्ताव लेखन से पूर्व विषय को कई बार ध्यान से पढ़ना आवश्यक होता है।
कुछ सहायक बिंदुओं के साथ एक प्रस्ताव निम्नवत है-
"मोबाइल आजकल की जरूरत बन गया है, मोबाइल के बहुत से फायदे हैं, साथ ही इसके कई नुकसान भी हैं।" --- इसको बताते हुए अपने विचार लिखें।
सहायक बिंदु-
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मोबाइल क्या होता है ? कैसा होता है ?
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मोबाइल से क्या-क्या फायदे होते हैं ?
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मोबाइल के प्रयोग से क्या-क्या नुकसान होते हैं ?
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मोबाइल के सही उपयोग के लिए क्या-क्या नियम होने चाहिए ।
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आपके अपने क्या विचार हैं ?
प्रस्ताव-लेखन के अंग
प्रस्तावों का वर्गीकरण
वर्णनात्मक
ऐसे प्रस्ताव में प्राकृतिक या देखी-सुनी वस्तुओं, जड़-चेतन पदार्थों,यात्रा,त्योहार, मेला या स्थान आदि का वर्णन किया जाता है।
विवरणात्मक
ऐसे प्रस्ताव में किसी महापुरुषों की जीवनियों, विशिष्ट घटना, स्थान, वस्तु आदि का विवरण दिया जाता है। इसका विषय काल्पनिक या वास्तविक दोनों प्रकार का हो सकता है। आत्म-कथा लेखन भी इसी श्रेणी में आता है। कुछ विषय पूर्णयता अनुभव पर आधारित होते हैं, जिन्हें अनुभवात्मक कहा जाता है।ऐसे विषय को भी इसी श्रेणी में सम्मिलित किया जाता है। जैसे-विद्यालय में मेरा पहला दिन।
विचारात्मक
ऐसे प्रस्ताव में राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक आदि विषय या समस्या पर विचार प्रकट किए जाते हैं तथा विषय के पक्ष या विपक्ष में अपनी राय दी जाती है।
भावात्मक
ऐसे प्रस्ताव में भावों की प्रधानता होती है। ये पूरी तरह से भावना से जुड़े होते हैं। इस प्रकार के प्रस्ताव के लिए मित्रता, सत्संगति, परोपकार, देश-प्रेम, मेरी प्रिय पुस्तक आदि विषय हो सकते हैं। सूक्तियों और लोकोक्तियों पर आधारित कहानीनुमा प्रस्ताव भी इसी श्रेणी में आते हैं।
स्मरणीय बिंदु
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प्रस्ताव के विषय का चुनाव सावधानी से करना चाहिए।
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प्रस्ताव की श्रेणी के अनुसार आकर्षक प्रस्तावना से प्रस्ताव को प्रारंभ करना चाहिए।
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विषय-सामग्री में अधिक-से-अधिक भावों का समावेश करना चाहिए।
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प्राथमिकता की दृष्टि से भावों में क्रमबद्धता लानी चाहिए।
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भावों में परस्पर तारतम्य होना चाहिए।
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विचारों की स्पष्ट अभिव्यक्ति पर ध्यान देना चाहिए।
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प्रस्ताव की शब्द-सीमा 250 मानी जाती है। (किसी भी शब्द को सिर्फ एक बार ही गिना जाएगा)
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सहज तथा सुबोध भाषा का प्रयोग करना चाहिए।
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आवश्यकतानुसार उचित उदाहरणों मुहावरों, सुवाक्यों के प्रयोग द्वारा साहित्यिक पुट लाने का प्रयास करना चाहिए।
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विषय की समाप्ति आकर्षक उपसंहार से करनी चाहिए।
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वर्तनी और व्याकरण संबंधी नियमों का ध्यान रखना चाहिए।
कुछ प्रस्ताव के उदाहरण
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कल्पना कीजिए कि आप कौन बनेगा करोड़पति में पाँच करोड़ रुपए जीत गए हैं। उससे आपको कोई तीन कार्य करने हैं। आप कौन-कौन से कार्य करेंगे, जिससे आपको अधिकतम संतुष्टि प्राप्त हो सके।
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कल्पना कीजिए कि आपको किसी प्रसिद्ध व्यक्ति का साक्षात्कार लेने कीजिम्मेदारी सौंपी गई है। बताइए कि वे प्रसिद्ध व्यक्ति कौन हैं और आप उनसेकौन-कौन से तीन प्रश्न पूछेंगे और क्यों ?
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अपने परिवार के किसी ऐसे सदस्य का वर्णन कीजिए, जिसने आपको प्रभावित किया हो। बताइए कि उस व्यक्ति के प्रभाव ने आपके जीवन को किस प्रकार परिवर्तित किया? आपके गुणों को निखारने में और अवगुणों को दूर करने में उस व्यक्ति ने आपकी किस प्रकार सहायता की?
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असफलता ही सफलता का आधार है – विषय के पक्ष या विपक्ष में अपने विचार प्रकट कीजिए।
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ऊँचे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए माता-पिता तथा अध्यापक द्वारा बच्चों पर डाला जाने वाला दबाव अनुचित है। -- विषय के पक्ष या विपक्ष में अपने विचार दीजिए।
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वर्तमान युग में इंटरनेट अपनी उपयोगिता के कारण एक आवश्यकता बनता जा रहा है। इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए और बताइए कि इंटरनेट जीवन में सुविधा के साथ-साथ मुसीबत किस प्रकार बन जाता है।
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एक कहानी लिखिए जिसका आधार निम्नलिखित उक्ति हो:- 'वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।’
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एक मौलिक कहानी लिखिए जिसका आधार निम्नलिखित उक्ति हो:- ’जान बची तो लाखों पाये’
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एक कहानी लिखिए जिसका आधार निम्नलिखित उक्ति हो : “परिश्रम ही सफलता का सोपान है।”
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भारतीय तथा पाश्चात्य संस्कृति का वर्णन करते हुए पाश्चात्य संस्कृति की कुछ अपनाने योग्य बातों पर प्रकाश डालिए।
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आज खेलों में फैला भ्रष्टाचार एक नया ही रूप ले रहा है, विषय को स्पष्ट करते हुए, अपने प्रिय खेल का वर्णन कीजिए तथा जीवन में खेलों की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
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अपने जीवन में घटी उस घटना का वर्णन कीजिए जिसे याद करके, आप आज भी हँसे बिना नहीं रहते तथा इससे आपको क्या लाभ मिलता है।
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एक मौलिक कहानी लिखिए जिसका आधार हो :- जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय।
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अपने परिवार के किसी ऐसे सदस्य का वर्णन कीजिए, जिसने आपको प्रभावित किया हो। बताइए कि उस व्यक्ति के प्रभाव ने आपके जीवन को किस प्रकार परिवर्तित किया? आपके गुणों को निखारने में और अवगुणों को दूर करने में उस व्यक्ति ने आपकी किस प्रकार सहायता की?
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त्योहार हमें उमंग एवं उल्लास से भरकर अपनी संस्कृति से जोड़े रखते हैं। आज-कल लोगों में त्योहारों को मनाने के प्रति उत्साह एवं आस्था का अभाव देखा जाता है? लोगों की इस मानसिकता के कारण बताते हुए जीवन में त्योहारों के महत्त्व का वर्णन कीजिए।